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Hindi Poems

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बहनचारा

bahanachaara

इडली सांभर से शुरू हुआ था
अपना प्यारा खास दोस्तना


याद हैं वो हमारा रूठना मनाना
अजीब तरह से एक दुसरे को सतना


एक दुसरे को मस्त बहाने बताना
पूरी रात आपस में बतियाना


संबसे अलग है अपना याराना
तुझमे अलग ही कुछ बात है


हर कांड में तू मेरे साथ है
मेरे हर कैप्शन में तेरा हाथ हैं


अंत मे कुछ शब्द,
ओह! मेरी पागल शैतान
मत हो बहन तु इतना परेशान


अकल देगा जरूर तुझे भगवान
जल्दी ही तुम बनेगी इंसान.

झंकार…

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Hindi Poems

एक लड़का ऐसा है जो बचपन में ही बड़ा हो गया।

एक लड़का ऐसा है जो बचपन में ही बड़ा हो गया।

एक लड़का ऐसा है जो बचपन में ही बड़ा हो गया।
बिन छाऊ के पेड़ बनके खड़ा हो गया।


बाप के जाने के बाद घर में सबसे बड़ा हो गया।
छोटे से कंधो पे बडे बोझ से दबा हो गया।


ज़िन्दगी की दौड़ती राहों पे कहीं कोने में जा खड़ा हो गया।
एक लड़का ऐसा है जो बचपन में ही बड़ा हो गया।


लड़कपन की उम्र में तज़ुर्बे से भरा हो गया।
कुछ चंद रुपयों के लिए मुलाजिम बनके खड़ा हो गया।


इमारतों की बोझ में आपनी जरूरतों से जुदा हो गया।
पढ़ ना पाया ज़िन्दगी में पर सफल पुरा हो गया।


एक लड़का ऐसा है जो बचपन में ही बड़ा हो गया।
पिता से है नाम तेरा । पिता पहचान तेरी ।


प्यार पिता से कितना था। ये कहे ना पाया कभी।

-आभाष

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सौदा-ए-हवा

सौदा-ए-हवा

खत्महो गई है इंसानियत
परलालच अभी बरकार है
जीवन और मौत के बीच में


मैं कैसे करूंगा इसकी तरकार है
हवा की जरूरत पूरी करता
यहा इंसान पूरा हो गया

रोरहे है अल्लाह और भगवान
मत कर दुष्ट कर्म ओह इंसान
ना बन तू इस समय शैतान
धरती का है तू मेहमान
पैसों के लिए ना मार कर्मों की शान

कमाई के लिए नहीं
मददके लिए बढ़ा हाथ
हो रहा हैजो आज
क्यापता हो कल तेरे साथ

– झंकार

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MARD – mera kissa

maard ego poetry b-updated

Khudi (ego) se door ik dariya hai jaha rehta hu me,
Kyuki befizul gurrane pe kuch na kehta hu me,

Wo ladte jhagadte khud ko mard bulate hai,
Hume dard nahi hota, garv se apne ghao dikhate hai,

Ha me darta hu, darta hu is dariya ko chorrne se,
Apne un naram ehsaaso ka gala ghotne se,

Tera ahm jab sachayi k patharo se koi todta h,
Tu dard chupaye har tukde ko samet k jodta h,

Apne dariya me magan, me ladaiya alag chunta hu sabse,
Maa ne khudi aur khud dari me fark sikhaya tha jabse,

Khudi se door ik dariya hai jaha rehta hu me,
Ise chorrne se darta hu, befizul kuch na kehta hu me,
Kyuki zindagi bhi to aag ka dariya hai aur hume doob k jana h,
Uski har ik lapat se muje mere dariya ne hi bachana h!

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